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Friday, February 3, 2017

भगवान शिव शक्ति साधना

@@महा शिवरात्रि शिव अर्ध नारेश्वरी दिव्य दृष्टी भूत वर्तमान भविष्य साधना@@
यह साधना 22 दिनों की है।
21 दिन साधक को मन्त्र जाप पूरे करने होते है।
22 वे दिन साधक को दशांश हवन ,तर्पण,मार्जन करना होता है।
सिद्ध होने पर साधक किसी भी व्यक्ति का भूत भविष्य वर्तमान बंद आँखों से देखता
है और शिव शक्ति उसके कानो में आवाज देकर कर्ण पिशाचिनी की तरह साधक के सभी प्रश्नो के उत्तर देती है।
इस साधना से साधक त्रिकाल दर्शी बन जाता है।
भविष्य में होने वाली दुर्घटनाओ से बचा जा सकता है।
इस साधना को रात्रि 11 बजे से संपन्न किया जाता है।
मन्त्र जाप के बाद साधक को साधना स्थल पर ही सोना होता है।
ब्रह्मचर्य का पालन अनिवार्य है।साधनाकाल में ब्रह्मचर्य खण्डित हो गया तो साधना फलीभूत नही होगी अर्थात सिद्धि पूर्ण नही होगी।
सबसे पहले नहा धोकर अपने माथे पर लाल चन्दन का तिलक लगाय,  सफ़ेद आसन
पर बैठे,अपने सामने शिवजी का फ़ोटो रखे,फल,फूल,मिठाई रखे,ताम्र कलश में जल रखे,रुद्राक्ष माला को पवित्र करके दाहिने हाथ की मध्यमा और अंगूठे से मन्त्र जाप करे ,देशी घी का दिया जलाये, धूपबत्ती ,अगरबत्ती जलाये।चमेली के फूल चढाये।
इस साधना में साधक को चमेली के 400 फूल अनिवार्य है जिनको 21 दिन प्रयोग करना है,22 वे दिन हवन में अनिवार्य होंगे।खीर का भोजन करे।
माँस मदिरा लहसुन प्याज वर्जित है।
साधना के पहले रात्रि को साधक को अजीबोगरीब सपने दिखाई देंगे।
यह सिलसिला 8 दिनों तक चलता है,साधक जितनी बार सोयेगा उसको उतनी ही बार सपने आयेंगे।
9 वे दिन से साधक के सिर के ऊपर भयँकर तनाव आता है कभी कभी साधको को ऐसा लगता है की माथा फट् जायेगा किन्तु ऐसा नही होता क्योंकि वह मन्त्र शक्ति साधक की सुप्त नाड़ियो को जाग्रत करती है।,कुछ डरपोक साधक इस डर के कारण साधना को बीच में ही छोड़ देते है।सपने,तनाव यह क्रिया 15 वे दिन तक चलते है इसके बाद जब 16 ,17 ,18,19 ,20,21 वा दिन होता है तो इसमें एक शक्ति भगवान् शिव की और जुड़ जाती है जो मानसिक रूप से आवाज देकर कुछ बता रही हो,साधक साधना के बाद जब भी सोने को जाता है तो उसे सोते वक्त पहले यह आवाज सुनाई देगी किन्तु क्लियर नही होगी उसके बाद सपने और तनाव रहेगा।यह कार्य साधक को सुबह के समय भी महसूस होगा साधनाकाल में जैसे किसी से बात कर रहा हो किन्तु जैसे ही उससे बात करना चाहेगा तुरुन्त साधक की आँख खुल जायेगी।
22 दिन पूरे होने पर साधक 23 वा दिन छोड़कर शिवजी की शक्ति का प्रयोग जनकल्याण में कर सकते है।
इस साधना की सबसे बड़ी बात यह है की इसे पारिवारिक लोग कर सकते है।स्त्री पुरुष दोनों।
सिद्ध साधको को देवी स्वप्न के माध्यम से होने वाली दिन की घटना दिखा देती है जिससे साधक सावधान हो जाता है।
लालची लोभी को कभी सिद्धि नही मिलती,,,यदि किसी को सिद्धि लेकर लालच मन में आ जाये और दुरुपयोग करने लगे तो सिद्धि कार्य करना बंद कर देगी। देव सिद्धियां अच्छे कार्य करती है गलत कार्य नही।
 1 पवित्रीकरण शरीर का
2 पवित्रीकरण सामग्री का
3 वास्तुदोष पूजन
4 गुरु मन्त्र 1 माला
5 गणेश मन्त्र 1 माला
6 शिवजी मन्त्र 1 माला
7 विष्णु जी मन्त्र 1 माला
8 सुरक्षा मन्त्र 9 बार बोलना है
9 संकल्प पहले दिन लेना है
10 देवता  देवी सिद्धि ध्यान
11 सिद्धि मन्त्र शुरू
12 देवी देवता की आरती
13 क्षमा माँगना
14 सो जाना
15 सुबह उठकर फूल फल मिठाई मंदिर या पीपल पेड़ पर चढाये ,,ताम्बे के लौटे का जल तुलसी या पीपल पर चढाये।
16 रोज यही कार्य रहेगा।
17 खाने में सुबह 11 बजे से 1बजे के बीच चावल दाल,दलीया ,खीर,फल ,मिठाई खाये।
शाम को 5 बजे से 7 बजे के बीच हल्का खाना खाये।
मन्त्र ॐ ह्रीम् नमो ऐम् नमो अर्धनरीश्वरी शिवशक्ति स्वाहा ।

गुरु अशोक कुमार चन्द्रा
हरिद्वार उत्तराखण्ड
हेल्पलाइन
07669101100
09997107192
08868035065
Emailid
vishnuavtar8@gmail.com

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