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Tuesday, May 9, 2017

रक्त भैरुं साधना

रिगतिया भेरू साधना-
यह साधना प्रथम बार में ही सिद्ध होती है अगर साधक प्रथम बार में अनुष्ठान अधूरा छोड़ देता है तो दूसरी बार में उसको कालग्रास बनना होता है।यह एक उग्र साधना है।इसमें साधक रविवार या गुरूवार से साधना शुरू करे।
दिशा उत्तर,कुशासन,वस्त्र लाल या काले,सिंदूर का तिलक लगाये।
भोग में बूंदी के लड्डू,दही बड़े, नमकीन रखे।खुली आँखों से साधना दिये को देखते हुये करे।साधना काल में अनेक भयानक अनुभव होते है।अंतिम दिन रिगतिया भैरू साधक को दिखाई देता है और एक बंद कमल कली पुष्प को साधक के शरीर पर फेंकता है और एक चमकीली किरण बनकर साधक की आँखों के माध्यम से शरीर में सिद्ध हो जाता है।
इनका स्वरुप अत्यंत भयानक होता है,यह एक श्मशानी शक्ति है,इसे रक्तया भेरू भी कहते है।इसके सिद्ध होने पर साधक सभी कार्य करता है।इसकी भुजाय अनंत होती है 21 दिन साधना की जाती है।
1 घण्टा रोज मन्त्र जाप किया जाता है।
गुरु मन्त्र पवित्रीकरण,वास्तुदोष पूजन अनिवार्य है।
दुरुपयोग न हो साधना का,इसलिये मन्त्र नही दिया जा रहा है।
गुरुदेव अशोक कुमार चन्द्रा
हरिद्वार उत्तराखण्ड भारत
हेल्पलाइन 00917669101100
emailid
vishnuavtar8@gamil.com

3 comments:

  1. Kirpa kar skta bhairu ji ka mantra btayein.

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  2. Kirpa kar rkta bhairu ji ka mantra btayein. Mera iska durupyog krne ka koi aashya nhi hai. Mujhe kevel inke mantra saadhna krni hai.

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