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Saturday, February 3, 2018

डाकिनी देवी ग्रहणकालीन सिद्धि

ग्रहण कालीन डाकिनी वरदान सिद्धि-- यह साधना ग्रहण के समय मे ही सिद्ध की जाती है। ग्रहण के समय मे डाकिनी देवी साधक को बंद आँखो में दर्शन देकर वचन करके वरदान या आशीर्वाद प्रदान करती है। यह साधना एकांत कमरे में सिध्द की जाती है। यह साधना मात्र 1 घण्टे की होती है,जब भी ग्रहण हो 1 घण्टे से ज्यादा तो साधना पूर्ण सिद्ध होती है।यह साधना पूर्ण प्रमाणिक और सिद्ध है। ग्रहण से एक घण्टे पहले साधक स्नान करके बंद कमरे मोगरा ,चमेली का सेंट दीवारों ,फर्श,छत पर छिड़क दें।सफेद कपड़े को धारण करे।सफेद आसन बिछाये। सामने बाजोट पर सफेद वस्त्र बिछाये।देशी घी का अखण्ड दिया त्रिभुजाकार अर्थात त्रिकोण में जलाये। सरसो की ढेरी बनाए।फल फूल मिठाई रखे।सुगन्धित अगरबत्ती जलाये।इतर रखे।माथे पर काला रंग का तिलक लगाएं। डाकिनी मन्त्र को 1 माला जपे। डाकिनी दिए कि लौ से प्रकट होकर सामग्री साधक से मांगेगी।साधक डरे नही और शांत मन से सभी सामग्री डाकिनी को अर्पण करें। अंत मे डाकिनी साधक से खाने के लिये भोग मांगेगी तब साधक को ''डाकिनी भोग'' जो गुरु निर्देश में तैयार किया जाता है ,डाकिनी को दिया जाता है तब डाकिनी प्रसन्न होकर साधक को वरदान देती है।साधक के सभी कार्य करती है।दिशा उत्तर रहेगी मन्त्र जाप में। मन्त्र जाप शुरू करते ही अनेक भयानक भूत प्रेत की आकृतियाँ साधक को बन्द आँखो से दिखाई देती है और अंत मे डाकिनी सिद्ध होती है। मन्त्र-नमो चन्डी सुखार धरती चढ़ाया कुण कुण वीर हनुमन्त वीर चडीया गोंडा चढि जांघ चढि कटी चढ़ी पेट चढ़ी पासलि चढि हिया चढि छाती चढि मुख चढि जिह्वया चढि कान चढि आंख चढि ललाट चढि शीश चढि कपाल चढि चोटी चढि। नरसिंह हनुमन्त चले।वीर संदवीर आज्ञावीर चले सो संता वीर चढ़े। गुरु अशोक कुमार चन्द्रा हरिद्वार उत्तराखण्ड हेल्पलाइन 00917669101100 00919997107192 00918868035065 Emailed vishnuavtar8@gmail.com

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